400 सीटों का सपना... सर्वे के आंकड़ों ने दिखाया NDA को RLD और टीडीपी जैसे साथियों की जरूरत क्यों?

दरअसल, मूड ऑफ द नेशन सर्वे के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 335 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करने जा रहा है. बीजेपी अकेले दम पर 304 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. कई राज्यों में बीजेपी एक बार फिर क्लीन स्वीप करने जा रही है. हालांकि, एनडीए को इस बार 18 सीटों का नुकसान होने की उम्मीद है. इसका सीधा लाभ इंडिया ब्लॉक को मिलने जा रहा है. इंडिया ब्लॉक के खाते में 166 सीटें जा सकतीं हैं. अन्य को 42 सीटें मिल सकती हैं. कांग्रेस 71 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस बार 19 सीटें ज्यादा जीत रही है. क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय समेत अन्य को बाकी 168 सीटें मिलने की संभावना है. 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो एनडीए ने तब 351 सीटें जीती थीं. बीजेपी को अकेले 303 सीटें मिलीं थीं. कांग्रेस का सफाया हो गया गया और उसे सिर्फ 52 सीटें ही मिल पाई थीं.
बीजेपी अपने कुनबे को बढ़ाने की कोशिश कर रही

यानी बीजेपी को इस बार डबल नुकसान होते दिख रहा है. एनडीए की सीटें पिछली बार के मुकाबले 18 कम आने की संभावना है. खुद बीजेपी को भी पिछली बार के मुकाबले एक सीट कम मिलने की बात कही जा रही है. यही वजह है कि बीजेपी अपने कुनबे को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक में बीजेपी ने अपने अलायंस में क्षेत्रीय दलों और उनके नेताओं को शामिल करवाए जाने का अभियान छेड़ दिया है. जगह-जगह नेताओं को पार्टी और अलायंस में लाया जा रहा है.

बीजेपी नेताओं को दी गईं जिम्मेदारियां

बात बिहार की हो या महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना की. नॉर्थ से लेकर साउथ तक क्षेत्रीय दलों को एनडीए में लाने के लिए बीजेपी नेताओं को बातचीत और फॉर्मूला निकालने की जिम्मेदारियां दी गई हैं. चूंकि एनडीए ने जो टारगेट तय किया है, उससे सीटों की संख्या 65 कम है. बीजेपी भी अपने टारगेट से 66 सीट पीछे दिख रही है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि आंकड़ों की यह दूरी पाटने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगियों का साथ और उनकी संख्या बढ़ाना जरूरी हो जाता है. इसके अलावा, जीत की गुंजाइश किस राज्य में ज्यादा और किन सीटों पर ताकत लगाने से जीत की संभावना बढ़ सकती है, उसे टारगेट करना होगा और फोकस होकर काम करने की जरूरत है.

चुनाव से पहली खुलीं INDIA गठबंधन की गांठें

पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि अलायंस में छोटे दलों को शामिल करने के पीछे बीजेपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा है. यह सीटों का समीकरण तो साधेगा ही, उससे ज्यादा नैरेटिव की लडाई में भी बढ़त दिलाएगा. एक तरफ विपक्षी दल अलायंस करके एनडीए को घेरने की रणनीति बना रहे हैं. लेकिन चुनाव से पहले ही गठबंधन की गांठें खुलने लगी हैं,. लिहाजा कुछ विपक्षी पार्टियां अपने दम पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. जानकार कहते हैं कि गठबंधन की लड़ाई में कुछ दिनों पहले तक विपक्षी अलायंस भारी थी. लेकिन पिछले कुछ दिन से एनडीए यह संदेश देने में सफल होता दिख रहा है कि वो ना सिर्फ अपने अलायंस में सहयोगी दलों की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि पुराने और बिछड़े साथियों की भी वापसी करवाने में सफल हो रहा है. जिन राज्यों में बीजेपी पिछड़ती दिख रही है, वहां एक-दो फीसदी वोट बढ़ने से नतीजों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. पिछले चुनाव में यूपी में बसपा का सपा के साथ गठबंधन था, इसका फायदा ये मिला कि बसपा को 10 सीटों पर जीत मिली. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनावों में भी बसपा अपनी परफॉर्मेंस दोहरा पाएगी या उससे बेहतर कर पाएगी, इसका पता तो नतीजों के बाद ही चलेगा.

NDA को आरएलडी की जरूरत क्यों?

बीजेपी अक्सर रालोद पर परिवारवादी पार्टी होने का आरोप लगाती रही है. लेकिन जल्द ही आम चुनाव होने वाले हैं, पश्चिमी यूपी के सहारनपुर, मुरादाबाद डिवीज़न के साथ ही मेरठ, अलीगढ़ और आगरा में लोकसभा की करीब 18 सीटें हैं, यहां बीजेपी का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम वोट बैंक के असर को कम करने और विपक्षी समाजवादी पार्टी से टक्कर लेने के लिए बीजेपी को रालोद का साथ चाहिए. बीजेपी चुनाव में कोई भी रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है, अपनी रणनीति के तहत बीजेपी ने बिहार में जदयू को एनडीए में शामिल करके इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका दिया है. कर्नाटक में देवगोड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन किया है ताकि लिंगायत के साथ अन्य समुदायों तक सीधी पहुंच बनाई जा सके. अंतरिम बजट में लक्षद्वीप को लेकर बड़ी सौगात देकर संदेश दिया है. केरल और तमिलनाडु में भी बीजेपी सक्रिय है.

साउथ में भी पकड़ मजबूत करने की कोशिश

साउथ इंडिया के पांच राज्य- केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुल मिलाकर 129 लोकसभा सीटें आतीं हैं. यहां 'इंडिया' ब्लॉक को बड़ा फायदा मिलता दिख रहा है. जबकि, एनडीए को कर्नाटक छोड़कर बाकी कहीं और कुछ खास फायदा नहीं मिल रहा है. बात आंध्रप्रदेश की करें तो यहां लोकसभा की 25 सीटें आती हैं. ' मूड ऑफ द नेशन' सर्वे में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी बड़ा उलटफेर करने जा रही है. उसे 17 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है. वहीं, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी को 8 सीटें ही मिलती नजर आ रहीं हैं. जबकि सर्वे में न तो NDA का यहां खाता खुलता दिख रहा है और न इंडिया ब्लॉक का. ऐसे में TDP बीजेपी के लिए बेहद अहम हो जाती है. क्योंकि टीडीपी, बीजेपी के टारगेट को छूने में मददगार साबित होगी. तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस बैठक में जेपी नड्डा भी शामिल थे. कहा जा रहा है कि बीजेपी अगर टीडीपी के साथ गठबंधन कर लेती है तो वाइएसआर कांग्रेस शासित राज्य में NDA बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. बता दें कि टीडीपी 2018 में एनडीए से अलग हो गई थी, इसके बाद हुए 2019 के चुनावों में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. वह केवल तीन लोकसभा सीटें ही जीत सकी थी.